Mansi savita

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लेखनी प्रतियोगिता -12-Feb-2023

मुझे प्रीत हुई मेरी प्रीतम अब मीत मिलन की बातें है
तुमसे नजरों का मिलना और प्यार भरी मुस्कुराहट है गालों में तेरी लाली है केश खुले बड़ी प्यारी है
मेरी टिमटिम आंखे तुझको ही बस निहार निहार पुकारती है
आ जाओ मेरे अब हे प्रीतम अब नही बीते अब  वक्त मेरा
तुम बिन हम भी अधूरे हैं मेरा श्रृंगार में अब वो रस नही
जो तुमको देख के गालों में लाली और मुस्कुराहट लबों में आती थी
मेरी सुरमे भरी आंखें हे प्रीत तुम्हे वो भाती थी
गजरो को तुम जब मेरे यू केश में लगाते हो
चमेली ,बेला सी खुशबू से मुझे  प्रीतम प्रीत हो जाती है
अब ये ढाई अक्षर जो प्रेम के है वो प्रीत मैं तुम्हे बताती हूं
मेरे नजरों को पढ़ ही लो मुझे प्रीत रास रचाती हूं
मीत मिलन अब ये प्रीत प्रसंग दिल को मेरे धड़काती है
मेरे लब्जो को प्रेम का भी ऐसा मानो  रोग लगा हर शाम सुबह मेरी निशा तुमको पाने की जिद भी थी
मन मेरा तुम्हे ढूंढ ढूंढ बैचेन हुआ भी करता था
जैसे भौरा फूलो में मंडराने का कार्य जो करता है
मुझे प्रीत हुई है मेरे प्रीतम मेरा साथ हर पल रहना है
तुम्हरे विचारो पे हे प्रीत मेरे नियम नीत भी मानूंगी
बस तुम मुझको अपनी संगिनी सा अधरंगिणी सा साथ मुझे इस युग में रखना
मेरे निकले जब प्राण मेरे तब उस दिन  मेरा प्रेम मिटे
हे प्रिय मेरे हे प्रीतम जी मुझको प्रीत में रंग दो ना
मेरे ढंग तौरतरीके अपने संग मुझको रख लेना।।

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7 Comments

Alka jain

14-Feb-2023 12:05 PM

बेहतरीन

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Punam verma

13-Feb-2023 09:06 AM

Very nice

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Abhinav ji

13-Feb-2023 07:43 AM

Very nice 👌

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